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मेरी तकदीर

तू लाजवाब है

दिल का खेल

माँ तो माँ होती है साहब

किसका ये इशारा है

क्या लेकर के आया पगले.........क्या लेकर के जायेगा

मुस्कुराना पड़ता है अपनों के लिए

दर्द को लिखकर मैंने गजल बनाया है

हकीकत क्या हैं बेवफाओं की

कौन किसी के लिए रोया है

भूली बिसरी यादें

उसे दे दिया इस्तिफा आज

मुझे याद है मेरी माँ, वो तेरा मुस्कुराना

कौन अपना है, कौन पराया

वो लड़की बहुत याद आएगी

चन्दा मामा

अपने दर्द से मशहुर हूँ

अभी भी याद है

गीत प्रेम का गा रही

वक़्त को इंतज़ार तेरा भी है

अभी मुझको इश्क बेशुमार करने दो

बची केवल कविताई है

दर्द बेहिसाब मैं

हैवानियत के आगे इंसानियत झुक रही है

किसी से उम्मीद न कर

मुझे इंसान ही रहने दो

बोल वो शहर कहाँ

जिया पिया बिन लागे ना

नजरो से कैसा सितम ढ़ाया है

चैन बिन रैन अधूरा है

उनको रूठ जाने दे

बेटी_क्यों_परायी_है?

आज बहना मेरी ससुराल चली

दिल खाली-सा है

एक ग़ज़ल आपके नाम

ग़ज़ल-ए-वफ़ा आपके नाम

रुला गया तेरा जाना मुझे

सुनाया न गया

आज शाम बड़ी सुहानी है

दामन को भिगोना पड़ा

ऐ खुदा बसा एक ऐसा शहर

ना खुद को सजा दीजिए

नायब हो आप

लोग बे-अदबी जवाबी कहते है

मेरे दिल में रहनेवाले

नादाँ हूँ, नाज़ुक हूँ

भारत माँ के लाल सुनो

बोलो ऐ मन मीत मेरे, लिखूँ कौन-सा गीत

चला चली का फेरा है

सुनो साहिब

शायर मुझे बनाया है

दूर जाने के लिए

गाना सिख लिया

उम्मीद

मयकदे का जाम

किमत प्यार की

समय न साथ देवेला

ऐ मेरे खुदा

"माँ"

इश्क़-ए-शराब होती

मुझे रुलाकर गये

हम बंजारे हो गये

मैं क्या करूँ

दिलवर का आना हुआ है