मुझे इंसान ही रहने दो

इंसान हूँ मुझे इंसान ही रहने दो
दिल की बात जुबाँ से जरा यार कहने दो
हर तरफ छाया हुआ है माहौल दिल्लगी का
उलझ ना जाऊँ कहीं, बचकर जरा निकलने दो
कुछ पलो की है खुशी है इश्क-ए-महफील में
मिला है गम अपनों से अभी जरा सा सहने दो
मतलबी मुहब्बत है, मतलबी सब यार है
छोड़कर इस बस्ती को अपनी झोंपड़ी में रहने दो
-कुमार आर्यन

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