शायद आज कलियों में कुछ और निखार आया है,
तू हल्की सी मुस्करायी क्या, अभी तक बहार छाया है।
ऐ चंचल, चाँदनी, दिलबर मेरे......
तुने नजरो से कैसा सितम ढ़ाया है।
- कुमार आर्य
तू हल्की सी मुस्करायी क्या, अभी तक बहार छाया है।
ऐ चंचल, चाँदनी, दिलबर मेरे......
तुने नजरो से कैसा सितम ढ़ाया है।
- कुमार आर्य
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