एक आंधी आया तूफानी, ले उड़ा बस एक सजर.....
शाख पर जिसके न जाने, कितने थे परिंदों का घर.....
शाख पर जिसके न जाने, कितने थे परिंदों का घर.....
फिर न आये तूफां ऐसा, के फिर न हो कोई बेघर.........
बस यही दहशत थी दिल में, बस यही थी दिल में डर....
बस यही दहशत थी दिल में, बस यही थी दिल में डर....
कौन करेगा हिफाज़त इनकी, फरियाद करे वो किस कदर.....
कैसे होगी बता प्रभु, सुकून से इनका बसर........
- कुमार आर्यन
कैसे होगी बता प्रभु, सुकून से इनका बसर........
- कुमार आर्यन
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