समय-समय पर सब ने मुझको आजमाया...
वक्त खराब देख मेरा, न कोई काम आया......
खुश होकर मेरे दर्द पर, मजाक मेरा बनाया.....
आज मेरा रोना लोगों को न समझ में आया......
कहने को सब अपने है, अपनों ने सिखलाया.....
पंछी बन पिंजड़ा में फंसकर दुखड़ा न कह पाया....
ठोकरें खाकर कदम-कदम पर, इतना समझ में आया....
हँसने वाले चेहरे के पिछे कौन अपना है, कौन पराया...
प्रेषक - कुमार आर्यन
Comments