रहने दे मुझसे बात न कर, इतनी क्यों रुशवाई है...
उथल-पुथल कर दी ज़िन्दगी पर, हकीकत सामने आई है...
उथल-पुथल कर दी ज़िन्दगी पर, हकीकत सामने आई है...
हर तरफ घनघोर अँधेरा, जाऊं तो कहाँ जाऊं...
अब कहाँ देखने को मिलता इंसानियत की रौशनाई है...
अब कहाँ देखने को मिलता इंसानियत की रौशनाई है...
पथ से पथिक भटक रहा अब, काजल भी देख रो रही...
कलंक के सामने फीकी अब मेरी भी करिआई है...
कलंक के सामने फीकी अब मेरी भी करिआई है...
मिलता कहाँ बुजुर्गो को आदर, अपनों में अब प्यार कहाँ....
लुट गया सब कुछ दुनिया में बची केवल कविताई है....
प्रेषक - कुमार आर्यन
लुट गया सब कुछ दुनिया में बची केवल कविताई है....
प्रेषक - कुमार आर्यन
Comments