दर्द को लिखकर मैंने गजल बनाया है

बड़ी मुस्किल से अश्कों को छुपाया है....
भरोशा करके अपनों से धोखा खाया है....
'बेरहम' बदल गये मौसम की तरह....
और हमसफर किसी गैर को बनाया है....
लुटकर मेरी खुशियाँ, चैन से वो...
अपनी महफिल में चार चाँद लगाया है....
बर्बाद कर मेरी झोपड़ी को 'आर्यन'....
उसने सपनों का अपनी महल सजाया है....
बहुत मेहनत किया है उसने तोड़ने में मुझे...
मोहब्बत में मुहब्बत को हथियार बनाया है...
दर्द ने मुहब्बत को आज फिर हरा दिया......
उस दर्द को लिखकर मैंने गजल बनाया है.....
कुमार आर्यन

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