दर्द बेहिसाब मैं

अभी लिख रहा हूँ सवालों का जवाब मैं...
दर्द का मुकम्मल हूँ खुली किताब मैं....
जो भी मिला रुलाता गया मुझे.....
कितना बताऊँ यारों दर्द बेहिसाब मैं...
प्रेषक - कुमार आर्यन

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