शायर को न बेरहम कहो

उजड़ा हुआ चमन कहो....
या फिर दर्द-ए-गम कहो.....
जो लिख दूँ चाहत में शेर-ए-ग़ज़ल...
हम शायर को न बेरहम कहो...
जो टूट गया मेरा अपना था....
जो बचा है उसे मेरा सपना कहो....
सब लोग पराया समझते है....
बस तुम मुझे अपना कहो......
प्रेषक - कुमार आर्यन

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