ग़ज़ल-ए-वफ़ा आपके नाम

ग़ज़ल-ए-वफ़ा आपके नाम
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कुछ नग्में वफ़ा गाते हैं...
कुछ दर्द-ए-हाल सुनाते हैं.....
देख मौसम का अंदाज़ नया....
हम रोज़ यहाँ मुस्कुराते है....
कुछ नग्में वफ़ा गाते हैं...
कुछ दर्द को दिल में छुपाते है....
कुछ मोहब्बत से घबराते है...
क्या है ये मज़ा मुहब्बत का...
हम गीत वही दोहराते है..
कुछ नग्में वफ़ा गाते हैं...
कोई कहता सनम मेरा चाँद-सा है....
छलकता हुआ एक जाम-सा है.....
हम कहते है इसे दर्द-ए-वफ़ा.......
तब लोग मुझे समझाते है........
कुछ नग्में वफ़ा गाते हैं...
करना न कभी प्यार सुनो.....
ये इश्क बुरा है यार सुनो......
मतलब के यहाँ सब है धंधा.....
हम बार-बार समझाते है......
कुछ नग्में वफ़ा गाते हैं...
कुछ दर्द-ए-हाल सुनाते हैं....
- कुमार आर्यन

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