ना मेरा है, ना तेरा है।
ये कुछ दिनों का डेरा है।
कर्म कमाले रे मुरख!
बस चला चली का फेरा है।।
ये कुछ दिनों का डेरा है।
कर्म कमाले रे मुरख!
बस चला चली का फेरा है।।
मैली चादर में है दाग बहुत।
धुले ना कोई धोबी से।
प्रित करो बस पिया से अपनी।
माया का छाया घनेरा है।।
धुले ना कोई धोबी से।
प्रित करो बस पिया से अपनी।
माया का छाया घनेरा है।।
खाक होगा एक दिन सब कुछ।
हिसाब पिया को देना है।
जाती नही वहाँ धन आैर दौलत।
जहाँ कर्म से होता सवेरा है।।
हिसाब पिया को देना है।
जाती नही वहाँ धन आैर दौलत।
जहाँ कर्म से होता सवेरा है।।
सोच समझले रे मन मुरख।
क्यों करता मनमनी है।
जिस दिन घटा छाएगा काल का।
उस दिन तेरा आखरी बसेरा है।।
- कुमार आर्यन
क्यों करता मनमनी है।
जिस दिन घटा छाएगा काल का।
उस दिन तेरा आखरी बसेरा है।।
- कुमार आर्यन
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