आज मुल्क में ऐसी हवा बह रही है...
जातिवाद की रोज दवा बँट रही है...
तु हिन्दु, मैं मुस्लिम, वो सिख, वो इसाई...
बस मज़हब की आड़ में इंसानियत लुट रही है...
जातिवाद की रोज दवा बँट रही है...
तु हिन्दु, मैं मुस्लिम, वो सिख, वो इसाई...
बस मज़हब की आड़ में इंसानियत लुट रही है...
चारों तरफ नफरत की दुकान सजी है...
दौलत के तक्खे पर इमान रखी है...
न नाता ना रिस्ता, ना प्यारी सी बोली...
मतलब से दिल की अब दीप जल रही है...
दौलत के तक्खे पर इमान रखी है...
न नाता ना रिस्ता, ना प्यारी सी बोली...
मतलब से दिल की अब दीप जल रही है...
सियासत को किसकी नजर लग गई है...
भ्रष्ट नेताओं से जनता क्यों जहर पी रही है....
अागे बढ़ो, बढ़कर तोड़ दो ये जंजीरें.....
हैवानियत के आगे इंसानियत झुक रही है.....
प्रेषक - कुमार आर्यन
भ्रष्ट नेताओं से जनता क्यों जहर पी रही है....
अागे बढ़ो, बढ़कर तोड़ दो ये जंजीरें.....
हैवानियत के आगे इंसानियत झुक रही है.....
प्रेषक - कुमार आर्यन
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