जीना चाहता हूँ

या खुदा मुकर्रर कर कब तलक होंगे गम के दिन......
मैं भी छाँव में ख़ुशी की जीना चाहता हूँ...... 
फ़टे हाल पर जी रहे है रोज़ अनेकों गरीब....... 
एक बार खुशी की मरहम से सीना चाहता हूँ...... 
- कुमार आर्यन

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