आज सुना हर एक अख़बार पड़ा है...
शायद सियासत का नेता बीमार पड़ा है...
शायद सियासत का नेता बीमार पड़ा है...
रोज जान जा रही है जवानों का मुल्क में....
जवाब देता नही खाली दरबार पड़ा है.........
जवाब देता नही खाली दरबार पड़ा है.........
तिन सालो में क्या मिला जनता को....
विफ़ से भरा पूरा बाज़ार पड़ा है........
विफ़ से भरा पूरा बाज़ार पड़ा है........
धर्म और मजहब के सहारे लुटा है तुमने....
बनके जनता आज गुनाहगार पड़ा है.....
बनके जनता आज गुनाहगार पड़ा है.....
क्या कहूँ तुम्हे ऐ सियासत के राजा.....
लगता है तू भी नपुंसक, बेकार पड़ा है....
- कुमार आर्यन
लगता है तू भी नपुंसक, बेकार पड़ा है....
- कुमार आर्यन
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