हवा से पुछो उसका वतन क्या है.....
रहता कहाँ है उसका चमन क्या है.....
ठोकरें खाते है रोज शाम-ए-शहर.....
क्यों पुछते हो मेरा अंजुमन क्या है.....
दर्द-ए-उल्फत बढती है रात और दिन...
तुम पुछते हो मेरा अमन क्या है......
जिन्दगी पल पल रुलाती है मुझे....
कैसे कहूँ इश्क की तपन क्या है...
प्रेषक- कुमार आर्यन
रहता कहाँ है उसका चमन क्या है.....
ठोकरें खाते है रोज शाम-ए-शहर.....
क्यों पुछते हो मेरा अंजुमन क्या है.....
दर्द-ए-उल्फत बढती है रात और दिन...
तुम पुछते हो मेरा अमन क्या है......
जिन्दगी पल पल रुलाती है मुझे....
कैसे कहूँ इश्क की तपन क्या है...
प्रेषक- कुमार आर्यन
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