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सीने से लगा लूँ

जश्न, भूख, लाचारी

मैं बेटी हूँ

कलयुग

तुम्हें मेरी याद आयी तो होगी

मुकबला

प्यार दे दो, उधार दे दो

सिर्फ इश्क़ से नही चलती इश्क की दुकाँ

वक्त इंसान को बदनाम करा देता है

कदर करते है तुम्हारी

मेरी माँ

शायरी समझकर, वाह-वाह मत करना

बड़ा मज़ा आता था साहब जब हम बच्चे थे

आ के तुझे मैं सीने से लगा लूँ

दोस्ती का रिश्ता इस कदर निभाया करते हैं

अब तो उसकी गली में जाना छोड़ दिया (गुरुआ)

अब तो उसकी गली में जाना छोड़ दिया

वक़्त बेवफा है थोड़ा जीना सीख ले (गुरुआ)

विद्या बालन की करार जवाब दिया गुरुआ का शायर कुमार आर्यन

माँ का दर्द (गुरुआ)

जिसे मानते थे अपना

सुना था इश्क रोग बहुत प्यारा होता है

उसकी खबर आखिरी है

जिश्म का कारोबार होता है

मोहब्बत बदनाम होता है

रोया है वर्षो से

दिल थाम के रोया है

साहित्य-मणीषी को श्रद्धावनत श्रद्धांजलि!

सैनिक पर आरोप लगाया तू है डर्टी पिक्चरवाली गुरुआ की आर्यन की कविता

मौज़ की बस्ती

सो जा ऐ दिल

धोखा

LOve status

मासूम सा बच्चा

दर्द की ग़ज़ल

बचपन

जीने का बहाना

चाँद

वीररस

नादाँ परिंदा

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