वक़्त बेवफा है थोड़ा जीना सीख ले (गुरुआ)

कहीं भी कर दो मेरे मोहब्बत का बंदोवस्त
कलम का आशिक़ हूँ दिल की ही लिखूंगा।
जो राज़ गुम हुई है इस दुनिया की भीड़ में
लाकर तेरे सामने एक दिन ये ही कहूंगा।

वक़्त बेवफा है थोड़ा जीना सीख ले
मतलबी इस दुनिया मे पीना सीख ले
अपना बनाकर अब न कोई धोखा दे
कैसे बनते है अब वो नगीना सीख ले

शीशे के मकानों पे पत्थर फेंकते है लोग
देखकर जख्म फिर कुरेदते है लोग 
अपने ज़ख्मो को खुद सीना सिख ले
वक़्त बेवफा है थोड़ा जीना सीख ले

जितना झुकोगे उतना दर्द मिलेगा
इंसान की नकाब में बेदर्द मिलेगा
दर्द को छुपा ले वो सफीना सिख ले
वक़्त बेवफा है थोड़ा जीना सीख ले
मतलबी इस दुनिया मे पीना सिख ले
- शायर कुमार आर्यन

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