दर्द की ग़ज़ल

मैं वही हूँ वही तन्हाई है
दिल में दर्द की गहराई है
तुम तो मुझे छोड़कर चले तो गये
अब तो मैं हूँ और मेरी परछाई है
दर्द ही दर्द है मुझमे गाने के लिए
मोहब्बत में मिली जुदाई है
खुश रहो तुम अपनों की महफील में
मेरे घर में अभी गम ही गम छाई है
मैं गरीब हूँ मेरे पास कुछ भी नही
फिर भी हालत को छुपाई है
तुम तो मस्त हो अभी मोहब्बत में
मेरे हिस्से में तो बेवफाई है .......
वो कहते है मुझे मुस्कुराने के लिए
पर उनकी यादों ने मुझे रुलाई है
- कुमार आर्यन

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