बचपन

बड़े हुए हैं जब से, कच्चे रस्ते हम भूल गये
बचपन मे जो ढोते थे, वो बस्ते हम भूल गये
बेमतलब घूमते थे हम गांव की हर एक गली
लत लगी शहर की तो सारे रिश्ते हम भूल गये
- कुमार आर्यन

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