सच है वो बचपन के दिन बहुत अच्छे थे
जब मिट्टी के मकान, वो रस्ते कच्चे थे
बड़ा मज़ा आता था साहब जब हम बच्चे थे
किसी के घर जब कोई मेहमान आता था
लगता था सबके घर मेहमान आया है
जुट जाया करता था गाँव का हर आदमी
मानो गाँव में बहार छाया है
वो अमरूद का जमाना और बेर कच्चे थे
बड़ा मज़ा आता था साहब जब हम बच्चे थे
वो पापा डांटना वो माँ का मनाना बहुत अच्छा लगता था
वो छुपाया हुआ सामान चुराकर खाना अच्छा लगता था
वो माँ की लोरी सुनकर सो जाना सच में बहुत अच्छे थे
बड़ा मज़ा आता था साहब जब हम बच्चे थे
- कुमार आर्यन
जब मिट्टी के मकान, वो रस्ते कच्चे थे
बड़ा मज़ा आता था साहब जब हम बच्चे थे
किसी के घर जब कोई मेहमान आता था
लगता था सबके घर मेहमान आया है
जुट जाया करता था गाँव का हर आदमी
मानो गाँव में बहार छाया है
वो अमरूद का जमाना और बेर कच्चे थे
बड़ा मज़ा आता था साहब जब हम बच्चे थे
वो पापा डांटना वो माँ का मनाना बहुत अच्छा लगता था
वो छुपाया हुआ सामान चुराकर खाना अच्छा लगता था
वो माँ की लोरी सुनकर सो जाना सच में बहुत अच्छे थे
बड़ा मज़ा आता था साहब जब हम बच्चे थे
- कुमार आर्यन
Comments