अब इश्क़ नही इश्क़ का व्यापार होता है
रूह रोती है साहब, जिश्म का कारोबार होता है
कुछ रूठ गये इससे, जमीर जिसका जिंदा है
अब तो अपनो से भी गैर जैसा व्यवहार होता है
- शायर कुमार आर्यन
रूह रोती है साहब, जिश्म का कारोबार होता है
कुछ रूठ गये इससे, जमीर जिसका जिंदा है
अब तो अपनो से भी गैर जैसा व्यवहार होता है
- शायर कुमार आर्यन
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