कलयुग

#वाहरेकलयुग
बेटा की हृदय में बहता है कहाँ वो प्रेम की धारा
फुट फुटकर रोता है तन्हा अब बाप बुढ़ा बेचारा
आज कलयुगी बहुओं की एक रुदन एक नारा
दूर करो बुढ़े-बुढियों को हमें रहना नही गवारा !
आज कलयुग ने अपना पाँव इस कदर पसारा
संस्कार से हीन औलादें मां-बाप को ही दुत्कारा
कैसा ये दिन आया कबीरा, छाया है अंधियारा
स्वर्ग छोड़कर नरक को लोग कहतें हैं उजियारा!!
-शायर कुमार आर्यन


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