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आज कल मुझे सर्द ने मारा

तुम वो खुबसूरत गुलाब हो

तोड़ ना देना साहब

हिन्दू हो या मुस्लिम वफादार होना चाहिए।

हर शाम रोने पर मजबुर कर देती है

वो देखकर मुस्कुराती है

मैं भी सिख लूँगा गम में मुस्कुराने की अदा

वो देखकर मुस्कुराती है

खुद की सांसों को कैसे रोक पाओगे

कौन किसी के लिए रोया है

हिन्दू हो या मुस्लिम वफादार होना चाहिए

खुद के सिवा कोई अपना नही होता

आपके जैसा रहवर-ए-दिल, फिर कहाँ से लायेंगे

बचपन का हर इंसान सच्चा था

तुझ बिन मुझसे रहा जाये ना

कभी गरीबों की मजाक न उड़ाया करो

आज उस माँ का,ऐसा क्यों हाल है

साथ नही देता कोई दुनिया में किसी गरीब को

इतना मुझको मजबुर किया।

ख्वाहिश थी ऐ दिल तुम्हें बर्बाद करने की

नयना है झील जैसी गहरी तेरी

छोड़ दोगे तो सोचो किधर जाएगें

दर्द को लिखकर मैंने गजल बनाया है

पहले दिल को संवारते

पुरे शहर को अपना महबुब तुम बना लो

मुहब्बत के लिए खुद को भुला दिया

जरा बहक जाने

वफ़ा सब मतलब से ही होते है

तेरा गुरूर नहीं हूँ मैं

तुझसे ही हैं मेरी दुनिया, जहान यारों

HaPpY Raksha BandhaN

तेरी याद ही काफी है

ये दिल पागल तुम्हें ही चाहता है

याद तेरी आ जाती है

अमन कायम रहने दो देश में, शेरों को उकसाओ ना

मेरे खत को जलाया होगा

Ma-Baap Ka Daman

मोहब्बत मत करना