Posts

छत से इशारा करके दिल मे आग लगा दी फिर उसने - कुमार आर्यन

ऐ दिल मुझको आज भी कॉलेज का ज़माना याद है - कुमार आर्यन

ये सुंदर सी उपवन किस काम की - कुमार आर्यन

किसपर भरोसा करे...........ये दिल साहब जब अपने आँख का आंसू, अपना ना हुआ - युवा कवि कुमार आर्यन

अब मैं भी प्रेम बीज बोना चाहता हूँ

एक गीत भारत के भगत सिंह के नाम

उसने अपना तो बनाया, बनाके छोड़ दिया

चलो फिर एक बार दिल को खिलौना बना लेते हैं खिलौना ही समझकर बेदर्दी खेलने तो आएगें - कुमार आर्यन

दिल पत्थर बनाकर उछाल रहा हूँ मैं

दर्दे दास्तां कहाँ तक सुनाऊँ

दिल में आग लगाती क्यो है दुनिया

क्यों गुरुर करता है मिट्टी के खिलौने पर

पतझड़ में भी मिलता बसंत का आनंद

बेवफा कहकर कुछ लोग अक्सर रुठ जाते है

उठ कवि उठा कलम

गुलाब कहले धतूरा से

कहाँ से आ रही है सिसकने की आवाज़

तुमने तो देश की खातिर जान भी कर दी कुर्बान

खुद को बच्चा बनाकर माँ से रूबरू कर लिया