पतझड़ में भी मिलता बसंत का आनंद

तेरे तासीर-ए-वफ़ा की तारीफ़ क्या करूँ
मन पंछी के माफ़िक गगन चुम रहा है
पतझड़ में भी मिलता बसंत का आनंद
मानो दिल तेरे धुन पर हो मगन झूम रहा है
युवा कवि कुमार आर्यन

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