#कालेज_के_दिन
भूल गया सब कसमें, वादे
बस एक अफ़साना याद है
ऐ दिल मुझको आज भी
कॉलेज का ज़माना याद है........
चुपके चुपके देखती थी वो
जब बेंच के उस पार से
सहेलियों के साथ आना जाना
अड़ना फिर दीवार से
देखकर सहमना उनका
और वो शर्माना याद है..........
याद है जब पहली बार
मिले थे हम कॉलेज मे
दिखाया था सब कुछ मुझे
जो लिखा था पेज में
फिर थम्हा कर उस पेज को
उसका भाग जाना याद है........
दिन गुजरा फिर हो गयी छुटी
रिश्ता कॉलेज का टूट गया
उसके जाने के बाद मानो
खुशियों से नाता टूट गया
आखरी बार मिलना उनसे
और बिछड़ना याद है........
ऐ दिल मुझको आज भी
कॉलेज का ज़माना याद है......
- शायर कुमार आर्यन
भूल गया सब कसमें, वादे
बस एक अफ़साना याद है
ऐ दिल मुझको आज भी
कॉलेज का ज़माना याद है........
चुपके चुपके देखती थी वो
जब बेंच के उस पार से
सहेलियों के साथ आना जाना
अड़ना फिर दीवार से
देखकर सहमना उनका
और वो शर्माना याद है..........
याद है जब पहली बार
मिले थे हम कॉलेज मे
दिखाया था सब कुछ मुझे
जो लिखा था पेज में
फिर थम्हा कर उस पेज को
उसका भाग जाना याद है........
दिन गुजरा फिर हो गयी छुटी
रिश्ता कॉलेज का टूट गया
उसके जाने के बाद मानो
खुशियों से नाता टूट गया
आखरी बार मिलना उनसे
और बिछड़ना याद है........
ऐ दिल मुझको आज भी
कॉलेज का ज़माना याद है......
- शायर कुमार आर्यन
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