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सीने से लगा लूँ

जश्न, भूख, लाचारी

मैं बेटी हूँ

कलयुग

तुम्हें मेरी याद आयी तो होगी

मुकबला

प्यार दे दो, उधार दे दो

सिर्फ इश्क़ से नही चलती इश्क की दुकाँ

वक्त इंसान को बदनाम करा देता है

कदर करते है तुम्हारी

मेरी माँ

शायरी समझकर, वाह-वाह मत करना

बड़ा मज़ा आता था साहब जब हम बच्चे थे

आ के तुझे मैं सीने से लगा लूँ

दोस्ती का रिश्ता इस कदर निभाया करते हैं

अब तो उसकी गली में जाना छोड़ दिया (गुरुआ)

अब तो उसकी गली में जाना छोड़ दिया

वक़्त बेवफा है थोड़ा जीना सीख ले (गुरुआ)