रातभर भटका हूँ तेरी गलियों में,

जनाब नासिर काज़मी साहब के एक मिसरा पर एक शेर देखें ------
रातभर भटका हूँ तेरी गलियों में,
"देखिए दिन कहाँ गुजरता है ।"
- कुमार आर्यन

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