दिल को उसका क्यों हर फैसला मंजूर है

पता नहीं आजकल वो, क्यों इतना मजबूर है 
गैर की मेहदी हाथों में, क्यों गैर का सिंदूर है
पास होकर दूर भी है, नाराज़ भी है खुद वही 
फिर भी दिल को उसका क्यों हर फैसला मंजूर है 
- कुमार आर्यन

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