यहां अपना बनाकर रुलाते है लोग, चल कहीं और चलें
यहां दिल लगाकर दिल दुखाते है लोग, चल कहीं और चलें
अरे कहाँ-कहाँ भटकोगे टूटा हुआ कमजोर दिल लेकर
यहां जख्मों पर नमक लगाते हैं लोग, चल कहीं और चलें।
-युवा कवि कुमार आर्यन
जिला संयोजक राष्ट्रीय कवि संगम, गया
यहां दिल लगाकर दिल दुखाते है लोग, चल कहीं और चलें
अरे कहाँ-कहाँ भटकोगे टूटा हुआ कमजोर दिल लेकर
यहां जख्मों पर नमक लगाते हैं लोग, चल कहीं और चलें।
-युवा कवि कुमार आर्यन
जिला संयोजक राष्ट्रीय कवि संगम, गया
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