ग़र इश्क इसे ही कहते है

फिर दर्द उठा है सीने में 
जाम जुदाई का पीने में 
ग़र इश्क इसे ही कहते है 
तो खाक मज़ा है जीने में 
- कुमार आर्यन 

Comments