तेरे दर पे भी कभी मोहब्बत आया होगा

तेरा तबियत नासाज़ क्यों है ?
तेरे दर पे भी कभी मोहब्बत आया होगा
धड़कन की रफ्तार को बढ़ाया होगा
पहचानने में नाकामयाब हो गए होगे तुम
फिर मोहब्बत ने दिल को सताया होगा
तब आंखों में अश्कों की मोती लेकर
तुमने यादों का माला बनाया होगा
लब ख़ामोश हो गए होंगें तेरे
जब कोई मुहब्बत का राग गुनगुनाया होगा
अजब सी बेचैनी महसूस हुआ होगा उस वक्त
जब झटके से उसका नाम कोई सुनाया होगा
जिसके नाम से खिल उठते हैं चेहरा तेरा
जिसके मूरत को खुद में बसाया होगा
सोचकर बहुत खुश हुआ होगा मन
कुदरत ने संभलकर उनको सजाया होगा
याद कर के फिर ज़माने की दस्तूर को पगले
ख्वाबों को थपकियाँ देकर सुलाया होगा
रात भर शायद तकिया भींगाया होगा-2
तूने खुद को बड़ा तड़पाया होगा- 2
शायर कुमार आर्यन


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