मेरे गांव की मिट्टी

पल-पल, हर पल खुद में बसाकर कहते है
मुहब्बत है तुझसे खुद को भुलाकर कहते है
ऐ मेरे गांव की मिट्टी तुझसे दूर हूँ तो क्या हुआ
सांस बसती है तुझमे कसम खाकर कहते है
- कुमार आर्यन (पुरानी यादें)

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