परिंदा है वो गगन का, खुशी छुपाकर रोता है

बहुत मासुम दिलवर है, खफा हर बात पे होता है
जो कह दूँ दूर हूँ तुमसे, मुझे रुलाकर रोता है
तड़पता है वो सुबहो शाम, खुद को भुलाकर रोता है
परिंदा है वो गगन का, खुशी छुपाकर रोता है
- कुमार आर्यन

Comments