बहुत माहिर है साहब लहज़े से क़त्ल करते है

मुझे काँटों से नही, फूलों से चोट खाना है.....
गैरों से क्या गिला, अपनों को आजमाना है....
बहुत माहिर है साहब लहज़े से क़त्ल करते है 
हैरान हूँ बहुत के कातिल से दोस्ताना है 
- कुमार आर्यन

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