बहुत माहिर है साहब लहज़े से क़त्ल करते है Posted by Shayar Kumar Aryan on October 19, 2017 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps मुझे काँटों से नही, फूलों से चोट खाना है.....गैरों से क्या गिला, अपनों को आजमाना है....बहुत माहिर है साहब लहज़े से क़त्ल करते है हैरान हूँ बहुत के कातिल से दोस्ताना है - कुमार आर्यन Comments
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