माँ की याद मुझे परदेस में रुलाता रहा

माँ की याद मुझे परदेस में रुलाता रहा
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दर्द को दर्द में पिरोकर दर्द को गाता रहा
दूर हूँ माँ से बहुत, में दर्द को सुनाता रहा
आया जब शहर में मैं, गांव याद आता रहा
अश्क को अपनी बस लोगों से छिपाता रहा
पढ़कर खत माँ की, लफ़्ज़ों को सहेजकर
मजबूर होकर परदेस में, तन्हा मैं रोता रहा
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बहुत मासूम है वो, दिल लगता भी उसी से है
महसूस करे मुझको शायद , मुहब्बत भी उसी से है
रचनाकार : शायर कुमार आर्यन 

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