मेरा गांव Posted by Shayar Kumar Aryan on September 24, 2017 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps मेरा गांव*******मेरे गांव के पीपल जैसा, तुझमें वो असर कहाँ ?बहता जहाँ स्वच्छ हवाएँ, बोल वो शहर कहाँ ? बैठ कोयलियाँ कदम डाल, रोज मधुर राग सुनाती है....अब परिन्दों के लिए शहर में, वो सुन्दर घर कहाँ ? शहर को अपनाकर, क्यों गाँव का रास्ता भूल गये ?गाँव के जैसा शहरों में, वो चैन का बसर कहाँ ? जगमगाती मतलबी शायद वो तेरी दुनिया है.......पर गाँव की फसल के जैसा, वो लहलहाता शहर कहाँ ?- कुमार आर्यन Comments
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