तेरे बिन मैं खुद को कैसा कहूँ

बे मौसम बादल बरसता नहीं
ये अखियां मेरी बरसने लगी
कोई दूर है मेरी नज़रो से
मिलने को एक पल तरसने लगी
तू आवाज़ है मेरी, तू मेरा राज़ है
तू गीत है मेरी, तू मेरा साज़ है
तेरे बिन मैं खुद को कैसा कहूँ
बिन तेरे ये दिल तड़पने लगी
जाना ही है तो जाओ मुझे छोड़कर
रिश्ते नाते मुहब्बत का यूँ तोड़कर
याद रखना तुझ बिन मैं कुछ भी नहीं
एक पागल सा मन है, सिसकने लगी
- कुमार आर्यन
@एहसास

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